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GHAZAL

वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है

वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है

वो मुझमे प्रेम सृजन कर रहा है

बहुत दिन हो गये है तुमसे बिछड़े

तुम्हें मिलने को अब मन कर रहा है

नदी के शांत तट पर बैठकर मन

तेरी यादें विसर्जन कर रहा है

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वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है — Azhar Iqbal • ShayariPage