@jaun-elia
Explore the poetic brilliance of renowned Pakistani poet Jaun Elia, featuring a diverse collection of sher, ghazal, and nazm in both Hindi and English. Delve into his genius and save your cherished verses.
Followers
0
Content
187
Likes
निकहत-ए-पैरहन से उस गुल की
सिलसिला बे-सबा रहा मेरा
आज का दिन भी ऐश से गुज़रा
सर से पाँव तक बदन सलामत है
मत पूछो कितना ग़मगीं हूँ गंगा जी और जमुना जी
ज़्यादा तुमको याद नहीं हूँ गंगा जी और जमुना जी
हो न पाया ये फैसला अब तक
कीजिए आप तो क्या कीजे
पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें
ज़मीं का बोझ हल्का क्यूँ करें हम
रंग की अपनी बात है वर्ना
आख़िरश ख़ून भी तो पानी है
न करो बहस हार जाओगी
हुस्न इतनी बड़ी दलील नहीं
हम को यारों ने याद भी न रखा
'जौन' यारों के यार थे हम तो
मुद्दतों बाद इक शख़्स से मिलने के लिए
आइना देखा गया, बाल सँवारे गए
नाम पे हम क़ुर्बान थे उस के लेकिन फिर ये तौर हुआ
उस को देख के रुक जाना भी सब से बड़ी क़ुर्बानी थी