@jaun-elia
Explore the poetic brilliance of renowned Pakistani poet Jaun Elia, featuring a diverse collection of sher, ghazal, and nazm in both Hindi and English. Delve into his genius and save your cherished verses.
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ये तेरे ख़त ये तेरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल
मता-ए-जाँ हैं तेरे कौल और क़सम की तरह
मेरी अक्ल-ओ-होश की सब हालतें
तुमने साँचे में जुनूँ के ढाल दी
ये कुछ आसान तो नहीं है कि हम
रूठते अब भी हैं मुरव्वत में!
इक महक सिम्त ए दिल से आई थी
मैं ये समझा तेरी सवारी है
फ़िक्र-ए-ईजाद में गुम हूँ मुझे ग़ाफ़िल न समझ
अपने अंदाज़ पर ईजाद करूँगा तुझ को
ज़ात दर ज़ात हमसफ़र रहकर
अजनबी अजनबी को भूल गया
यहाँ वो कौन है जो इंतिख़ाब ए ग़म पर कादिर हो
जो मिल जाए वही ग़म दोस्तों का मुद्दआ होगा
ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीआद-ए-सितम
ज़ुज़ हरीफ़ान-ए-सितम किस को पुकारा जाए
आप अपने से हम-सुख़न रहना
हमनशीं साँस फूल जाती है
अपनी महरूमियाँ छिपाते हैं
हम गरीबों की आन बान में क्या