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SHER

बात ही कब किसी की मानी है

बात ही कब किसी की मानी है

अपनी हठ पूरी कर के छोड़ोगी

ये कलाई ये जिस्म और ये कमर

तुम सुराही ज़रूर तोड़ोगी

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