SHER•
बात ही कब किसी की मानी है
By Jaun Elia
बात ही कब किसी की मानी है
अपनी हठ पूरी कर के छोड़ोगी
ये कलाई ये जिस्म और ये कमर
तुम सुराही ज़रूर तोड़ोगी
बात ही कब किसी की मानी है
अपनी हठ पूरी कर के छोड़ोगी
ये कलाई ये जिस्म और ये कमर
तुम सुराही ज़रूर तोड़ोगी