जौन तुम्हे ये दौर मुबारक, दूर ग़म-ए-अय्याम से हो
जौन तुम्हे ये दौर मुबारक, दूर ग़म-ए-अय्याम से हो
एक पागल लड़की को भुला कर अब तो बड़े आराम से हो

@jaun-elia
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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जौन तुम्हे ये दौर मुबारक, दूर ग़म-ए-अय्याम से हो
एक पागल लड़की को भुला कर अब तो बड़े आराम से हो
यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
मुझसे बिछड़ कर भी वो लड़की कितनी ख़ुश ख़ुश रहती है
उस लड़की ने मुझसे बिछड़ कर मर जाने की ठानी थी
ये मुझे चैन क्यूॅं नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िन्दगी गुज़ारी है
शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
लेकिन यक़ीन सब को दिलाता रहा हूँ मैं
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं