कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया

@jaun-elia
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया
अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
मैं तुम्हें भूल भी तो सकता था
हाँ मगर ये नहीं हुआ मुझसे
हमसे जो रूठ गया है वो है बहुत मासूम
हम तो औरों को मनाने के लिए निकले है
आप मुझको बहुत पसंद आईं
आप मेरी क़मीज़ सीजिएगा
हम वो हैं जो ख़ुदा को भूल गए
तुम मेरी जान किस गुमान में हो
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम ?
बिछड़ना है तो झगडा क्यूँ करें हम?
कल रात बहुत गौर किया है सो हम उसकी
तय करके उठे हैं कि तमन्ना ना करेंगे
बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे
सिर्फ़ ज़िंदा रहे हम तो मर जाएँगे
अब नहीं कोई बात खतरे की
अब सभी को सभी से खतरा है
शानों पे किसके अश्क बहाया करेंगी आप
रूठेगा कौन? किसको मनाया करेंगी आप
बाग़बाँ हम तो इस ख़याल के हैं
देख लो फूल फूल तोड़ो मत
बस यूँ ही मेरा गाल रखने दे
मेरी जान आज गाल पर अपने
मैं ख़ुद ये चाहता हूँ कि हालात हों खराब
मेरे ख़िलाफ़ ज़हर उगलता फिरे कोई
बस फ़ाइलों का बोझ उठाया करें जनाब
मिस्रा ये 'जौन' का है इसे मत उठाइए