ये तेरे ख़त ये तेरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल

ये तेरे ख़त ये तेरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल

मता-ए-जाँ हैं तेरे कौल और क़सम की तरह

गुज़िश्ता साल मैंने इन्हें गिनकर रक्खा था

किसी ग़रीब की जोड़ी हुई रकम की तरह