हुस्न बला का कातिल हो पर आखिर को बेचारा है
हुस्न बला का कातिल हो पर आखिर को बेचारा है
इश्क़ तो वो कातिल जिसने अपनों को भी मारा है
ये धोखे देता आया है दिल को भी दुनिया को भी
इसके छल ने खार किया है सहरा में लैला को भी
हुस्न बला का कातिल हो पर आखिर को बेचारा है
इश्क़ तो वो कातिल जिसने अपनों को भी मारा है
ये धोखे देता आया है दिल को भी दुनिया को भी
इसके छल ने खार किया है सहरा में लैला को भी