@rahat-indori
Rahat Indori shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Rahat Indori's shayari and don't forget to save your favorite ones.
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शजर हैं अब समर-आसार मेरे
चले आते हैं दावेदार मेरे
जो मंसबों के पुजारी पहन के आते हैं
कुलाह तौक़ से भारी पहन के आते हैं
सिर्फ़ सच और झूट की मीज़ान में रक्खे रहे
हम बहादुर थे मगर मैदान में रक्खे रहे
बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते
एक सच के लिए किस किस से बुराई लेते
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए
ज़िंदगी को ज़ख़्म की लज़्ज़त से मत महरूम कर
रास्ते के पत्थरों से ख़ैरियत मा'लूम कर
मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया
एक पागल ने बहुत लोगों को पागल कर दिया
काली रातों को भी रंगीन कहा है मैं ने
तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैं ने
उठी निगाह तो अपने ही रू-ब-रू हम थे
ज़मीन आईना-ख़ाना थी चार-सू हम थे
हम ने ख़ुद अपनी रहनुमाई की
और शोहरत हुई ख़ुदाई की