शजर हैं अब समर-आसार मेरे

शजर हैं अब समर-आसार मेरे

चले आते हैं दावेदार मेरे


मुहाजिर हैं न अब अंसार मेरे

मुख़ालिफ़ हैं बहुत इस बार मेरे


यहाँ इक बूँद का मुहताज हूँ मैं

समुंदर हैं समुंदर पार मेरे


अभी मुर्दों में रूहें फूँक डालें

अगर चाहें तो ये बीमार मेरे


हवाएँ ओढ़ कर सोया था दुश्मन

गए बेकार सारे वार मेरे


मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ

यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे


हँसी में टाल देना था मुझे भी

ख़ता क्यूँ हो गए सरकार मेरे


तसव्वुर में न जाने कौन आया

महक उट्ठे दर-ओ-दीवार मेरे


तुम्हारा नाम दुनिया जानती है

बहुत रुस्वा हैं अब अशआर मेरे


भँवर में रुक गई है नाव मेरी

किनारे रह गए इस पार मेरे


मैं ख़ुद अपनी हिफ़ाज़त कर रहा हूँ

अभी सोए हैं पहरे-दार मेरे