@rahat-indori
Rahat Indori shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Rahat Indori's shayari and don't forget to save your favorite ones.
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सब की पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए
सोचता हूँ कोई अख़बार निकाला जाए
जो ये हर-सू फ़लक मंज़र खड़े हैं
न जाने किस के पैरों पर खड़े हैं
ये ख़ाक-ज़ादे जो रहते हैं बे-ज़बान पड़े
इशारा कर दें तो सूरज ज़मीं पे आन पड़े
शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया
कुछ यादों ने चुटकी में लोबान लिया
मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
आसमाँ लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो
साथ मंज़िल थी मगर ख़ौफ़-ओ-ख़तर ऐसा था
उम्र-भर चलते रहे लोग सफ़र ऐसा था
मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की
दाद लोगों की गला अपना ग़ज़ल उस्ताद की
चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया
जितने अपने थे सब पराए थे
हम हवा को गले लगाए थे