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GHAZAL

मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो

मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो

आसमाँ लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो

अब कहाँ ढूँढने जाओगे हमारे क़ातिल

आप तो क़त्ल का इल्ज़ाम हमीं पर रख दो

मैं ने जिस ताक पे कुछ टूटे दिये रक्खे हैं

चाँद तारों को भी ले जा के वहीं पर रख दो

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