भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा
भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा
घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा

@bashir-badr
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा
घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा
मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूटे हो
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आइने में देर तक चेहरा नहीं रहता
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया
होंटों पे मोहब्बत के फ़साने नहीं आते
साहिल पे समुंदर के ख़ज़ाने नहीं आते
अगर यक़ीं नहीं आता तो आज़माए मुझे
वो आइना है तो फिर आइना दिखाए मुझे
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
बड़े ताजिरों की सताई हुई
ये दुनिया दुल्हन है जलाई हुई
अब किसे चाहें किसे ढूँडा करें
वो भी आख़िर मिल गया अब क्या करें
ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ है
अभी तुझ से मिलता-जुलता कोई दूसरा कहाँ है
उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ
मिरे गिलास में थोड़ी शराब दे जाओ
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना
कोई सूखा पेड़ मिले तो उस से लिपट के रो लेना
अब तो अँगारों के लब चूम के सो जाएँगे
हम वो प्यासे हैं जो दरियाओं को तरसाएँगे
कौन आया रास्ते आईना-ख़ाने हो गए
रात रौशन हो गई दिन भी सुहाने हो गए
मिरी ज़िंदगी भी मिरी नहीं ये हज़ार ख़ानों में बट गई
मुझे एक मुट्ठी ज़मीन दे ये ज़मीन कितनी सिमट गई
उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
अज़्मतें सब तिरी ख़ुदाई की
हैसियत क्या मिरी इकाई की
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
आँखें मिरी भीगी हुई चेहरा तिरा उतरा हुआ