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GHAZAL

अब किसे चाहें किसे ढूँडा करें

अब किसे चाहें किसे ढूँडा करें

वो भी आख़िर मिल गया अब क्या करें

हल्की हल्की बारिशें होती रहीं

हम भी फूलों की तरह भीगा करें

आँख मूँदे उस गुलाबी धूप में

देर तक बैठे उसे सोचा करें

दिल मोहब्बत दीन दुनिया शाइ'री

हर दरीचे से तुझे देखा करें

घर नया कपड़े नए बर्तन नए

इन पुराने काग़ज़ों का क्या करें

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अब किसे चाहें किसे ढूँडा करें — Bashir Badr • ShayariPage