Shayari Page
GHAZAL

अज़्मतें सब तिरी ख़ुदाई की

अज़्मतें सब तिरी ख़ुदाई की

हैसियत क्या मिरी इकाई की

मिरे होंटों के फूल सूख गए

तुम ने क्या मुझ से बेवफ़ाई की

सब मिरे हाथ पाँव लफ़्ज़ों के

और आँखें भी रौशनाई की

मैं ही मुल्ज़िम हूँ मैं ही मुंसिफ़ हूँ

कोई सूरत नहीं रिहाई की

इक बरस ज़िंदगी का बीत गया

तह जमी एक और काई की

अब तरसते रहो ग़ज़ल के लिए

तुम ने लफ़्ज़ों से बेवफ़ाई की

Comments

Loading comments…