हमारे पास तो आओ बड़ा अंधेरा है
हमारे पास तो आओ बड़ा अंधेरा है
कहीं न छोड़ के जाओ बड़ा अंधेरा है

@bashir-badr
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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हमारे पास तो आओ बड़ा अंधेरा है
कहीं न छोड़ के जाओ बड़ा अंधेरा है
नज़र से गुफ़्तुगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह
ग़ज़ल ने सीखे हैं अंदाज़ सब तुम्हारी तरह
चमक रही है परों में उड़ान की ख़ुशबू
बुला रही है बहुत आसमान की ख़ुशबू
मैं तुम को भूल भी सकता हूँ इस जहाँ के लिए
ज़रा सा झूट ज़रूर है दास्ताँ के लिए
जब तक निगार-ए-दश्त का सीना दुखा न था
सहरा में कोई लाला-ए-सहरा खिला न था
मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
आग से आग बुझा फूल खिला जाम उठा
मिरी ग़ज़ल की तरह उस की भी हुकूमत है
तमाम मुल्क में वो सब से ख़ूबसूरत है
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे
ख़ानदानी रिश्तों में अक्सर रक़ाबत है बहुत
घर से निकलो तो ये दुनिया ख़ूबसूरत है बहुत
दिल में इक तस्वीर छुपी थी आन बसी है आँखों में
शायद हम ने आज ग़ज़ल सी बात लिखी है आँखों में
मेरे सीने पर वो सर रक्खे हुए सोता रहा
जाने क्या थी बात मैं जागा किया रोता रहा
चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली
सहमे सहमे हाथों ने इक किताब फिर खोली
जब सहर चुप हो हँसा लो हम को
जब अँधेरा हो जला लो हम को
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
मिरे बदन पे किसी दूसरे की शाल नहीं
सोए कहाँ थे आँखों ने तकिए भिगोए थे
हम भी कभी किसी के लिए ख़ूब रोए थे
सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी
अब धूल से अटी हुई लारी न आएगी
कोई लश्कर कि धड़कते हुए ग़म आते हैं
शाम के साए बहुत तेज़ क़दम आते हैं
प्यार की नई दस्तक दिल पे फिर सुनाई दी
चाँद सी कोई सूरत ख़्वाब में दिखाई दी
फ़लक से चाँद सितारों से जाम लेना है
मुझे सहर से नई एक शाम लेना है
ख़ून पत्तों पे जमा हो जैसे
फूल का रंग हरा हो जैसे