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शे'र मेरे कहाँ थे किसी के लिए
मैंने सब कुछ लिखा है तुम्हारे लिए

@bashir-badr
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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शे'र मेरे कहाँ थे किसी के लिए
मैंने सब कुछ लिखा है तुम्हारे लिए
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो
मुझे एक रात नवाज़ दे मगर इस के बा'द सहर न हो
ख़ुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में
माँगा था जिसे हम ने दिन रात दुआओं में
जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती है
यादों के दरीचों में चिलमन सी सरकती है
कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बँधा हुआ
वो ग़ज़ल का लहजा नया नया न कहा हुआ न सुना हुआ
सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं कभी उस के घर मैं गया नहीं
मैं जनम जनम से उसी का हूँ उसे आज तक ये पता नहीं
किसी की याद में पलकें ज़रा भिगो लेते
उदास रात की तन्हाइयों में रो लेते
मैं कब तन्हा हुआ था याद होगा
तुम्हारा फ़ैसला था याद होगा
ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे
रोएँगे बहुत लेकिन आँसू नहीं आएँगे
घर से निकले अगर हम बहक जाएँगे
वो गुलाबी कटोरे छलक जाएँगे
कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते
वो अपने घर चला गया अफ़्सोस मत करो
इतना ही उस का साथ था अफ़्सोस मत करो
सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
माँगा ख़ुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं
वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे
चाँद कहते हैं किसे ख़ूब समझते होंगे
मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे
मुक़द्दर में चलना था चलते रहे
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है
मिरे दिल की राख कुरेद मत इसे मुस्कुरा के हवा न दे
ये चराग़ फिर भी चराग़ है कहीं तेरा हाथ जला न दे
सँवार नोक-पलक अबरुओं में ख़म कर दे
गिरे पड़े हुए लफ़्ज़ों को मोहतरम कर दे
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है