सुब्ह का झरना हमेशा हँसने वाली औरतें
सुब्ह का झरना हमेशा हँसने वाली औरतें
झुटपुटे की नद्दियाँ ख़ामोश गहरी औरतें

@bashir-badr
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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सुब्ह का झरना हमेशा हँसने वाली औरतें
झुटपुटे की नद्दियाँ ख़ामोश गहरी औरतें
शाम आँखों में आँख पानी में
और पानी सरा-ए-फ़ानी में
मिरी ज़बाँ पे नए ज़ाइक़ों के फल लिख दे
मिरे ख़ुदा तू मिरे नाम इक ग़ज़ल लिख दे
बे-तहाशा सी ला-उबाली हँसी
छिन गई हम से वो जियाली हँसी
इक परी के साथ मौजों पर टहलता रात को
अब भी ये क़ुदरत कहाँ है आदमी की ज़ात को
पहला सा वो ज़ोर नहीं है मेरे दुख की सदाओं में
शायद पानी नहीं रहा है अब प्यासे दरियाओं में
ज़र्रों में कुनमुनाती हुई काएनात हूँ
जो मुंतज़िर है जिस्मों की मैं वो हयात हूँ
मिरी नज़र में ख़ाक तेरे आइने पे गर्द है
ये चाँद कितना ज़र्द है ये रात कितनी सर्द है
हँसी मा'सूम सी बच्चों की कॉपी में इबारत सी
हिरन की पीठ पर बैठे परिंदे की शरारत सी
शो'ला-ए-गुल गुलाब शो'ला क्या
आग और फूल का ये रिश्ता क्या
पिछली रात की नर्म चाँदनी शबनम की ख़ुनकी से रचा है
यूँ कहने को उस का तबस्सुम बर्क़-सिफ़त है शो'ला-नुमा है
वो सूरत गर्द-ए-ग़म में छुप गई हो
बहुत मुमकिन ये वो ही आदमी हो
सिसकते आब में किस की सदा है
कोई दरिया की तह में रो रहा है
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा
उदासी आसमाँ है दिल मिरा कितना अकेला है
परिंदा शाम के पुल पर बहुत ख़ामोश बैठा है
आहन में ढलती जाएगी इक्कीसवीं सदी
फिर भी ग़ज़ल सुनाएगी इक्कीसवीं सदी
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
उस दर का दरबान बना दे या अल्लाह
मुझको भी सुल्तान बना दे या अल्लाह
मेरी आंखों में तिरे प्यार का आंसू आए
कोई ख़ुशबू मैं लगाऊंतिरी ख़ुशबू आए
सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है
बा-वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है