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GHAZAL

उस दर का दरबान बना दे या अल्लाह

उस दर का दरबान बना दे या अल्लाह

मुझको भी सुल्तान बना दे या अल्लाह

इन आँखों से तेरे नाम की बारिश हो

पत्थर हूँ, इन्सान बना दे या अल्लाह

सहमा दिल, टूटी कश्ती, चढ़ता दरया

हर मुश्किल आसान बना दे या अल्लाह

मैं जब चाहूँ झाँक के तुझको देख सकूँ

दिल को रोशनदान बना दे या अल्लाह

मेरा बच्चा सादा काग़ज़ जैसा है

इक हर्फ़े ईमान बना दे या अल्लाह

चाँद-सितारे झुक कर क़दमों को चूमें

ऐसा हिन्दोस्तान बना दे या अल्लाह

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उस दर का दरबान बना दे या अल्लाह — Bashir Badr • ShayariPage