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GHAZAL

चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली

चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली

सहमे सहमे हाथों ने इक किताब फिर खोली

दाएरे अँधेरों के रौशनी के पोरों ने

कोट के बटन खोले टाई की गिरह खोली

शीशे की सिलाई में काले भूत का चढ़ना

बाम काठ का घोड़ा नीम काँच की गोली

बर्फ़ में दबा मक्खन मौत रेल और रिक्शा

ज़िंदगी ख़ुशी रिक्शा रेल मोटरें डोली

इक किताब चाँद और पेड़ सब के काले कॉलर पर

ज़ेहन टेप की गर्दिश मुँह में तोतों की बोली

वो नहीं मिली हम को हुक बटन सरकती जीन

ज़िप के दाँत खुलते ही आँख से गिरी चोली

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