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GHAZAL

मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो

मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो

मेरी तरह तुम भी झूटे हो

इक दीवार पे चाँद टिका था

मैं ये समझा तुम बैठे हो

उजले उजले फूल खिले थे

बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो

मुझ को शाम बता देती है

तुम कैसे कपड़े पहने हो

दिल का हाल पढ़ा चेहरे से

साहिल से लहरें गिनते हो

तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे

बच्चों सी बातें करते हो

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