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GHAZAL

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना

कोई सूखा पेड़ मिले तो उस से लिपट के रो लेना

उस के बा'द बहुत तन्हा हो जैसे जंगल का रस्ता

जो भी तुम से प्यार से बोले साथ उसी के हो लेना

कुछ तो रेत की प्यास बुझाओ जनम जनम की प्यासी है

साहिल पर चलने से पहले अपने पाँव भिगो लेना

मैं ने दरिया से सीखी है पानी की ये पर्दा-दारी

ऊपर ऊपर हँसते रहना गहराई में रो लेना

रोते क्यूँ हो दिल वालों की क़िस्मत ऐसी होती है

सारी रात यूँही जागोगे दिन निकले तो सो लेना

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