@ali-zaryoun
Ali Zaryoun, born in 1983 in Faisalabad, is a versatile multilingual poet. Dive into his diverse Shayari collection, spanning Urdu, Hindi, Farsi, Punjabi, and English, and save your favorite verses.
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सुकूत-ए-शाम का हिस्सा तू मत बना मुझ को
मैं रंग हूँ सो किसी मौज में मिला मुझ को
इक हिजरत की आवाज़ों का
कोई बैन सुने दरवाज़ों का
जनाब-ए-शैख़ की हर्ज़ा-सराई जारी है
उधर से ज़ुल्म इधर से दुहाई जारी है
तेरे आगे सर-कशी दिखलाउँगा?
तू तो जो कह दे वही बन जाऊँगा
ख़्वाब का ख़्वाब हक़ीक़त की हक़ीक़त समझें
ये समझना है तो फिर पहले तरीक़त समझें
शाहसाज़ी में रियायत भी नही करते हो
सामने आके हुकूमत भी नही करते हो
मेरे लिए तो इश्क़ का वादा है शायरी
आधा सुरूर तुम हो तो आधा है शायरी
तुम जो कहते हो सुनूँगा जो पुकारोगे मुझे
जानता हूँ कि तुम ही घेर के मारोगे मुझे
जिस तरह वक़्त गुज़रने के लिए होता है
आदमी शक्ल पे मरने के लिए होता है
पागल कैसे हो जाते हैं
देखो ऐसे हो जाते हैं