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GHAZAL

मेरे लिए तो इश्क़ का वादा है शायरी

मेरे लिए तो इश्क़ का वादा है शायरी

आधा सुरूर तुम हो तो आधा है शायरी

रुद्राक्ष हाथ मे है तो सीने में ओम है

कृष्णा है मेरा दिल मेरी राधा है शायरी

अपना तो मेल जोल ही बस आशिकों से है

दरवेश का बस एक लबादा है शायरी

हो आश्ना कोई तो दिखाती है अपना रंग

बे रम्ज़ियों के वास्ते सादा है शायरी

तुम सामने हो और मेरी दस्तरस में हो

इस वक़्त मेरे दिल का इरादा है शायरी

भगवान हो ख़ुदा हो मुहब्बत हो या बदन

जिस सम्त भी चलो यही जादा है शायरी

इस लिए भी इश्क़ ही लिखता हूँ मैं अली

मेरा किसी से आख़री वादा है शायरी

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