GHAZAL•
शाहसाज़ी में रियायत भी नही करते हो
By Ali Zaryoun
शाहसाज़ी में रियायत भी नही करते हो
सामने आके हुकूमत भी नही करते हो
तुमसे क्या बात करे कौन कहाँ क़त्ल हुआ
तुम तो इस ज़ुल्म पे हैरत भी नही करते हो
अब मेरे हाल पे क्यों तुमको परेशानी है
अब तो तुम मुझसे मुहब्बत भी नही करते हो
प्यार करने की सनद कैसे तुम्हे जारी करूँ
तुम अभी ठीक से नफ़रत भी नही करते हो
मश्वरे हँस के दिया करते थे दीवानों को
क्या हुआ अब तो नसीहत भी नही करते हो