आँख बोझल है
आँख बोझल है
मगर नींद नहीं आती है

@parveen-shakir
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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आँख बोझल है
मगर नींद नहीं आती है
वो बाग़ में मेरा मुंतज़िर था
और चाँद तुलू'अ हो रहा था
तुम मुझ को गुड़िया कहते हो
ठीक ही कहते हो!
लड़की!
ये लम्हे बादल हैं
अपने सर्द कमरे में
मैं उदास बैठी हूँ
अपने फ़ोन पे अपना नंबर
बार बार डायल करती हूँ
मुझे मत बताना
कि तुम ने मुझे छोड़ने का इरादा किया था
अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़
सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा
मैं क्यूँ उस को फ़ोन करूँ!
उस के भी तो इल्म में होगा
आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी
रात गहरी है मगर चाँद चमकता है अभी
इस उम्र के बाद उस को देखा!
आँखों में सवाल थे हज़ारों
सब्ज़ मद्धम रौशनी में सुर्ख़ आँचल की धनक
सर्द कमरे में मचलती गर्म साँसों की महक
वही नर्म लहजा
जो इतना मुलाएम है जैसे
पैरों की मेहँदी मैंने
किस मुश्किल से छुड़ाई थी