पैरों की मेहँदी मैंने

पैरों की मेहँदी मैंने

किस मुश्किल से छुड़ाई थी

और फिर बैरन ख़ुश्बू की

कैसी-कैसी विनती की थी

प्यारी धीरे-धीरे बोल सावन,

भरा घर जाग उठेगा

लेकिन जब उसके आने की घड़ी हुई

सुबह से ऐसी झड़ी लगी

उम्र में पहली बार मुझे

बारिश अच्छी नहीं लगी

बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की

बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की

उसे बुला जिसकी चाहत में

तेरा तन-मन भीगा है

प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी

और जब उस बारिश के बाद

हिज्र की पहली धूप खुलेगी

तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे