हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो
हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो
कि चश्म-ए-तंग शायद कसरत-ए-नज़्ज़ारा से वा हो

@mirza-ghalib
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो
कि चश्म-ए-तंग शायद कसरत-ए-नज़्ज़ारा से वा हो
हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी
दिल जोश-ए-गिर्या में है डूबी हुई असामी
हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या
न हो मरना तो जीने का मज़ा क्या
हुई ताख़ीर तो कुछ बाइस-ए-ताख़ीर भी था
आप आते थे मगर कोई इनाँ-गीर भी था
हुजूम-ए-ग़म से याँ तक सर-निगूनी मुझ को हासिल है
कि तार-ए-दामन ओ तार-ए-नज़र में फ़र्क़ मुश्किल है
गर्म-ए-फ़रियाद रखा शक्ल-ए-निहाली ने मुझे
तब अमाँ हिज्र में दी बर्द-ए-लयाली ने मुझे
ग़ाफ़िल ब-वहम-ए-नाज़ ख़ुद-आरा है वर्ना याँ
बे-शाना-ए-सबा नहीं तुर्रा गयाह का
ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तिश्ना-लब पैग़ाम के
ग़म खाने में बूदा दिल-ए-नाकाम बहुत है
ये रंज कि कम है मय-ए-गुलफ़ाम बहुत है
ग़म नहीं होता है आज़ादों को बेश अज़-यक-नफ़स
बर्क़ से करते हैं रौशन शम्-ए-मातम-ख़ाना हम
ग़म-ए-दुनिया से गर पाई भी फ़ुर्सत सर उठाने की
फ़लक का देखना तक़रीब तेरे याद आने की
घर हमारा जो न रोते भी तो वीराँ होता
बहर गर बहर न होता तो बयाबाँ होता
घर जब बना लिया तिरे दर पर कहे बग़ैर
जानेगा अब भी तू न मिरा घर कहे बग़ैर
ग़ुंचा-ए-ना-शगुफ़्ता को दूर से मत दिखा कि यूँ
बोसे को पूछता हूँ मैं मुँह से मुझे बता कि यूँ
गिला है शौक़ को दिल में भी तंगी-ए-जा का
गुहर में महव हुआ इज़्तिराब दरिया का
गुलशन को तिरी सोहबत अज़-बस-कि ख़ुश आई है
हर ग़ुंचे का गुल होना आग़ोश-कुशाई है
गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज
क़ुमरी का तौक़ हल्क़ा-ए-बैरून-ए-दर है आज
है आरमीदगी में निकोहिश बजा मुझे
सुब्ह-ए-वतन है ख़ंदा-ए-दंदाँ-नुमा मुझे
है बस-कि हर इक उन के इशारे में निशाँ और
करते हैं मोहब्बत तो गुज़रता है गुमाँ और
है बज़्म-ए-बुताँ में सुख़न आज़ुर्दा-लबों से
तंग आए हैं हम ऐसे ख़ुशामद-तलबों से