हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी

हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी

दिल जोश-ए-गिर्या में है डूबी हुई असामी


उस शम्अ' की तरह से जिस को कोई बुझा दे

मैं भी जले-हुओं में हूँ दाग़-ए-ना-तमामी


करते हो शिकवा किस का तुम और बेवफ़ाई

सर पीटते हैं अपना हम और नेक-नामी


सद-रंग-ए-गुल कतरना दर-पर्दा क़त्ल करना

तेग़-ए-अदा नहीं है पाबंद-ए-बे-नियामी


तर्फ़-ए-सुख़न नहीं है मुझ से ख़ुदा-न-कर्दा

है नामा-बर को उस से दावा-ए-हम-कलामी


ताक़त फ़साना-ए-बाद अंदेशा शोला-ईजाद

ऐ ग़म हुनूज़ आतिश ऐ दिल हुनूज़ ख़ामी


हर चंद उम्र गुज़री आज़ुर्दगी में लेकिन

है शरह-ए-शौक़ को भी जूँ शिकवा ना-तमामी


है यास में 'असद' को साक़ी से भी फ़राग़त

दरिया से ख़ुश्क गुज़रे मस्तों की तिश्ना-कामी