आप जैसों के लिए इस में रखा कुछ भी नहीं
आप जैसों के लिए इस में रखा कुछ भी नहीं
लेकिन ऐसा तो न कहिए कि वफ़ा कुछ भी नहीं

@jawwad-sheikh
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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आप जैसों के लिए इस में रखा कुछ भी नहीं
लेकिन ऐसा तो न कहिए कि वफ़ा कुछ भी नहीं
टूटने पर कोई आए तो फिर ऐसा टूटे
कि जिसे देख के हर देखने वाला टूटे
कोई इतना प्यारा कैसे हो सकता है
फिर सारे का सारा कैसे हो सकता है
एक तस्वीर कि अव्वल नहीं देखी जाती
देख भी लूँ तो मुसलसल नहीं देखी जाती
मैंने चाहा तो नहीं था कि कभी ऐसा हो
लेकिन अब ठान चुके हो तो चलो अच्छा हो
अ'र्ज़-ए-अलम ब-तर्ज़-ए-तमाशा भी चाहिए
दुनिया को हाल ही नहीं हुलिया भी चाहिए
तुम अगर सीखना चाहो मुझे बतला देना
आम सा फ़न तो कोई है नहीं तोहफ़ा देना
नही है मुन्हसिर इस बात पर यारी हमारी
के तू करता रहे नाहक तरफदारी हमारी
सब को बचाओ ख़ुद भी बचो फ़ासला रखो
अब और कुछ करो न करो फ़ासला रखो