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GHAZAL

कोई इतना प्यारा कैसे हो सकता है

कोई इतना प्यारा कैसे हो सकता है

फिर सारे का सारा कैसे हो सकता है

कैसे किसी की याद हमें ज़िंदा रखती है

एक ख़याल सहारा कैसे हो सकता है

तुझ से जब मिल कर भी उदासी कम नहीं होती

तेरे बग़ैर गुज़ारा कैसे हो सकता है

यार हवा से कैसे आग भड़क उठती है

लफ़्ज़ कोई अँगारा कैसे हो सकता है

कौन ज़माने-भर की ठोकरें खा कर ख़ुश है

दर्द किसी को प्यारा कैसे हो सकता है

हम भी कैसे एक ही शख़्स के हो कर रह जाएँ

वो भी सिर्फ़ हमारा कैसे हो सकता है

कैसे हो सकता है जो कुछ भी मैं चाहूँ

बोल ना मेरे यारा कैसे हो सकता है

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कोई इतना प्यारा कैसे हो सकता है — Jawwad Sheikh • ShayariPage