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GHAZAL

एक तस्वीर कि अव्वल नहीं देखी जाती

एक तस्वीर कि अव्वल नहीं देखी जाती

देख भी लूँ तो मुसलसल नहीं देखी जाती

देखी जाती है मोहब्बत में हर जुम्बिश-ए-दिल

सिर्फ़ साँसों की रिहर्सल नहीं देखी जाती

इक तो वैसे बड़ी तारीक है ख़्वाहिश नगरी

फिर तवील इतनी कि पैदल नहीं देखी जाती

ऐसा कुछ है भी नहीं जिससे तुझे बहलाऊँ

ये उदासी भी मुसलसल नहीं देखी जाती

मैंने इक उम्र से बटुए में सँभाली हुई है

वही तस्वीर जो इक पल नहीं देखी जाती

अब मेरा ध्यान कहीं और चला जाता है

अब कोई फ़िल्म मुकम्मल नहीं देखी जाती

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