एक तस्वीर कि अव्वल नहीं देखी जाती

एक तस्वीर कि अव्वल नहीं देखी जाती

देख भी लूँ तो मुसलसल नहीं देखी जाती


देखी जाती है मोहब्बत में हर जुम्बिश-ए-दिल

सिर्फ़ साँसों की रिहर्सल नहीं देखी जाती


इक तो वैसे बड़ी तारीक है ख़्वाहिश नगरी

फिर तवील इतनी कि पैदल नहीं देखी जाती


ऐसा कुछ है भी नहीं जिससे तुझे बहलाऊँ

ये उदासी भी मुसलसल नहीं देखी जाती


मैंने इक उम्र से बटुए में सँभाली हुई है

वही तस्वीर जो इक पल नहीं देखी जाती


अब मेरा ध्यान कहीं और चला जाता है

अब कोई फ़िल्म मुकम्मल नहीं देखी जाती