अजीब आदमी था वो
अजीब आदमी था वो
मोहब्बतों का गीत था

@javed-akhtar
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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अजीब आदमी था वो
मोहब्बतों का गीत था
किसी का हुक्म है सारी हवाएँ
हमेशा चलने से पहले बताएँ
ये जीवन इक राह नहीं
इक दोराहा है
बाप की उँगली थामे
इक नन्हा सा बच्चा
जाने किस की तलाश उन की आँखों में थी
आरज़ू के मुसाफ़िर
आँख खुल गई मेरी
हो गया मैं फिर ज़िंदा
अजीब क़िस्सा है
जब ये दुनिया समझ रही थी
मेरे रस्ते में इक मोड़ था
और उस मोड़ पर
एक शायर दोस्त से
घर में बैठे हुए क्या लिखते हो
ये वक़्त क्या है
ये वक़्त क्या है
मिरे मुख़ालिफ़ ने चाल चल दी है
और अब
जाने किस की तलाश उन की आँखों में थी
आरज़ू के मुसाफ़िर