जब भी ये दिल उदास होता है
जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है

@gulzar
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है
ज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें
शम्अ' जलती है तो लाज़िम है शुआएँ निकलें
मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता
मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता
फूल ने टहनी से उड़ने की कोशिश की
इक ताइर का दिल रखने की कोशिश की
कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद
हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है
ज़मीं से पेड़ों के टाँके उधेड़ देती है
ज़िक्र होता है जहाँ भी मिरे अफ़्साने का
एक दरवाज़ा सा खुलता है कुतुब-ख़ाने का
जब भी आँखों में अश्क भर आए
लोग कुछ डूबते नज़र आए
तुझ को देखा है जो दरिया ने इधर आते हुए
कुछ भँवर डूब गए पानी में चकराते हुए
गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से
आसमाँ भर गया है चीलों से
ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर
सैली सी ख़ामोशी में आवाज़ सुनी फ़रमाइश पर
मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता
मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता
पेड़ के पत्तों में हलचल है ख़बर-दार से हैं
शाम से तेज़ हवा चलने के आसार से हैं
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की
कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे
कहीं से आता हुआ कोई शहसवार दिखे
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते हैं
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएँ भेजी हैं
गुलों के हाथ बहुत सी दुआएँ भेजी हैं
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है