इक ख़्वाब ने आँखें खोली हैं क्या मोड़ आया है कहानी में
इक ख़्वाब ने आँखें खोली हैं क्या मोड़ आया है कहानी में
वो भीग रही है बारिश में और आग लगी है पानी में

@gulzar
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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इक ख़्वाब ने आँखें खोली हैं क्या मोड़ आया है कहानी में
वो भीग रही है बारिश में और आग लगी है पानी में
आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ए'तिबार किया
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
दर्द दिल का लिबास होता है
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िन्दगी एक नज़्म लगती है
कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में
ज़िंदगी पर भी कोई ज़ोर नहीं
दिल ने हर चीज़ पराई दी है
बे-सबब मुस्कुरा रहा है चाँद
कोई साज़िश छुपा रहा है चाँद
चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें
ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई