SHER•11/3/2020चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकींBy GulzarLikeShareReportHindiEnglishचंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें