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GHAZAL

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की

क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की

नींद में कोई अपने-आप से बातें करता रहता है

काल-कुएँ में गूँजती है आवाज़ किसी सौदाई की

सीने में दिल की आहट जैसे कोई जासूस चले

हर साए का पीछा करना आदत है हरजाई की

आँखों और कानों में कुछ सन्नाटे से भर जाते हैं

क्या तुम ने उड़ती देखी है रेत कभी तन्हाई की

तारों की रौशन फ़सलें और चाँद की एक दरांती थी

साहू ने गिरवी रख ली थी मेरी रात कटाई की

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तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की — Gulzar • ShayariPage