फिर किसी ने लक्ष्मी देवी को ठोकर मार दी
फिर किसी ने लक्ष्मी देवी को ठोकर मार दी
आज कूड़े दान में फिर एक बच्ची मिल गयी

@munawwar-rana
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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फिर किसी ने लक्ष्मी देवी को ठोकर मार दी
आज कूड़े दान में फिर एक बच्ची मिल गयी
कभी चाहत पे शक करते हुए ये भी नहीं सोचा
तुम्हारे साथ क्यों रहते अगर अच्छा नहीं लगता
कोई चेहरा किसी को उम्र भर अच्छा नहीं लगता
हसीं है चाँद भी, शब भर मगर अच्छा नहीं लगता
अब आपकी मर्जी है सँभालें न सँभालें
ख़ुश्बू की तरह आप के रूमाल में हम हैं
ये सच है नफ़रतों की आग ने सब कुछ जला डाला
मगर उम्मीद की ठण्डी हवाएँ रोज़ आती हैं
डरा-धमका के तुम हमसे वफ़ा करने को कहते हो
कहीं तलवार से भी पाँव का काँटा निकलता है
न जाने कैसी महक आ रही है बस्ती से
वही जो दूध उबलने के बाद आती है
सज़ा कितनी बड़ी है गाँव से बाहर निकलने की
मैं मिट्टी गूँधता था अब डबलरोटी बनाता हूँ
उसकी तरफ़ से फूल भी आयेंगे एक रोज़
पत्थर उठा के चूम ले इसको पहल समझ
यादों की रेल आज वहीं आ के रुक गई
खेले थे हम जहाँ कभी पटरी पे बैठकर
इस अह्द में हज़ार के नोटों की क़द्र है
गाँधी भी ख़ुश नहीं थे चवन्नी पे बैठकर
तुम भी साबित हुए कमज़ोर मुनव्वर राना
ज़िन्दगी माँगी भी तुमने तो दवा से माँगी
मुख़्तसर होते हुए भी ज़िन्दगी बढ़ जाएगी
माँ की आँखें चूम लीजे रौशनी बढ़ जाएगी
जिसने भी इस ख़बर को सुना सर पकड़ लिया
कल एक दिये ने आंधी का कॉलर पकड़ लिया
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है
अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे
इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए
वो ज़ालिम मेरी हर ख़्वाहिश ये कह कर टाल जाता है
दिसंबर जनवरी में कोई नैनीताल जाता है?
पहले ये काम बड़े प्यार से माँ करती थी
अब हमें धूप जगाती है तो दुख होता है
मुनव्वर माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है