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कभी चाहत पे शक करते हुए ये भी नहीं सोचा

कभी चाहत पे शक करते हुए ये भी नहीं सोचा

तुम्हारे साथ क्यों रहते अगर अच्छा नहीं लगता

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कभी चाहत पे शक करते हुए ये भी नहीं सोचा — Munawwar Rana • ShayariPage