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सज़ा कितनी बड़ी है गाँव से बाहर निकलने की

सज़ा कितनी बड़ी है गाँव से बाहर निकलने की

मैं मिट्टी गूँधता था अब डबलरोटी बनाता हूँ

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सज़ा कितनी बड़ी है गाँव से बाहर निकलने की — Munawwar Rana • ShayariPage