तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रास्ता
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रास्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हमने

@munawwar-rana
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रास्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हमने
इन्हें अपनी ज़रूरत के ठिकाने याद रहते हैं
कहाँ पर है खिलौनों की दुकाँ बच्चे समझते हैं
क़सम देता है बच्चों की, बहाने से बुलाता है
धुआँ चिमनी का हमको कारख़ाने से बुलाता है
खिलौनों की तरफ़ बच्चे को माँ जाने नहीं देती
मगर आगे खिलौनों की दुकाँ जाने नहीं देती
उस वक़्त भी अक्सर तुझे हम ढूँढ़ने निकले
जिस धूप में मज़दूर भी छत पर नहीं जाते
गिले शिकवे ज़रूरी हैं अगर सच्ची मुहब्बत है
जहाँ पानी बहुत गहरा हो थोड़ी काई रहती है
ख़ुदा ने यह सिफ़त दुनिया की हर औरत को बख़्शी है
कि वो पागल भी हो जाए तो बेटे याद रहते हैं
अमीर-ए-शहर का रिश्ते में कोई कुछ नहीं लगता
ग़रीबी चाँद को भी अपना मामा मान लेती है
उम्र भर साँप से शर्मिन्दा रहे ये सुन कर
जब से इन्सान को काटा है तो फन दुखता है
जब तक है डोर हाथ में तब तक का खेल है
देखी तो होंगी तुमने पतंगें कटी हुई
शरीफ़ इन्सान आख़िर क्यों इलेक्शन हार जाता है
क़िताबों में तो ये लिक्खा था रावन हार जाता है
दिल ऐसा कि सीधे किये जूते भी बड़ों के
ज़िद इतनी कि ख़ुद ताज उठा कर नहीं पहना
दिखाते हैं पड़ोसी मुल्क आँखें तो दिखाने दो
कहीं बच्चों के बोसे से भी माँ का गाल कटता है
रोना पड़ेगा बैठ के अब देर तक मुझे
मैं कहा रहा था आपसे, हँस कर न देखिए
इंसानों को जलवाएगी कल इस से ये दुनिया
जो बच्चा खिलौना भी ज़मीं पर नहीं रखता
जो उसने लिक्खे थे ख़त कापियों में छोड़ आए
हम आज उसको बड़ी उलझनों में छोड़ आए
मैदान छोड़ देने से मैं बच तो जाऊँगा
लेकिन जो ये ख़बर मेरी माँ तक पहुँच गयी
हम तो उसको देखने आये थे इतनी दूर से
वो समझता था हमें मेला बहुत अच्छा लगा
मुझे वो छोड़ जाना चाहता था
मगर कोई बहाना चाहता था
दुनिया भी जैसे ताश के पत्तों का खेल है
जोकर के साथ रहती है रानी ही क्यों न हो