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उम्र भर साँप से शर्मिन्दा रहे ये सुन कर

उम्र भर साँप से शर्मिन्दा रहे ये सुन कर

जब से इन्सान को काटा है तो फन दुखता है

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उम्र भर साँप से शर्मिन्दा रहे ये सुन कर — Munawwar Rana • ShayariPage