@munawwar-rana
Munawwar Rana shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Munawwar Rana's shayari and don't forget to save your favorite ones.
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मसर्रतों के ख़ज़ाने ही कम निकलते हैं
किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते हैं
सहरा-पसंद हो के सिमटने लगा हूँ मैं
अंदर से लग रहा है कि बटने लगा हूँ मैं
दरिया-दिली से अब्र-ए-करम भी नहीं मिला
लेकिन मुझे नसीब से कम भी नहीं मिला
फिर से बदल के मिट्टी की सूरत करो मुझे
इज़्ज़त के साथ दुनिया से रुख़्सत करो मुझे
महफ़िल में आज मर्सिया-ख़्वानी ही क्यूँ न हो
आँखों से बहने दीजिए पानी ही क्यूँ न हो
ख़ून रुलवाएगी ये जंगल-परस्ती एक दिन
सब चले जाएँगे ख़ाली कर के बस्ती एक दिन