@munawwar-rana
Munawwar Rana shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Munawwar Rana's shayari and don't forget to save your favorite ones.
Followers
0
Content
106
Likes
ये सर-बुलंद होते ही शाने से कट गया
मैं मोहतरम हुआ तो ज़माने से कट गया
चले मक़्तल की जानिब और छाती खोल दी हम ने
बढ़ाने पर पतंग आए तो चर्ख़ी खोल दी हम ने
हम कुछ ऐसे तिरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू गुलों से आती है
ख़बर तुम्हारी भी अब दूसरों से आती है
ऐसा लगता है कि कर देगा अब आज़ाद मुझे
मेरी मर्ज़ी से उड़ाने लगा सय्याद मुझे
घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं
लड़कियाँ धान के पौदों की तरह होती हैं
मुझ को गहराई में मिट्टी की उतर जाना है
ज़िंदगी बाँध ले सामान-ए-सफ़र जाना है
काले कपड़े नहीं पहने हैं तो इतना कर ले
इक ज़रा देर को कमरे में अँधेरा कर ले
ख़ुद अपने ही हाथों का लिखा काट रहा हूँ
ले देख ले दुनिया मैं पता काट रहा हूँ
ये दरवेशों की बस्ती है यहाँ ऐसा नहीं होगा
लिबास-ए-ज़िंदगी फट जाएगा मैला नहीं होगा