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GHAZAL

सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता

सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता

हर सहेली से दुपट्टा नहीं बदला जाता

हम तो शायर है सियासत नहीं आती हमको

हमसे मुंह देख कर लहज़ा नहीं बदला जाता

अब रुलाया है तो हसने पे ना मजबूर करो

रोज़ बीमार का नुस्खा नहीं बदला जाता

ग़म से फुर्सत ही कहां है के तुझे याद करूं

इतनी लाशें हों तो कंधा नहीं बदला जाता

उम्र एक तल्ख़ हकीकत है मुनव्वर फिर भी

जितने तुम बदले हो इतना नहीं बदला जाता

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