अभी इक शोर सा उठा है कहीं
अभी इक शोर सा उठा है कहीं
कोई ख़ामोश हो गया है कहीं

@jaun-elia
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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अभी इक शोर सा उठा है कहीं
कोई ख़ामोश हो गया है कहीं
अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
अपनी मंज़िल का रास्ता भेजो
जान हम को वहाँ बुला भेजो
ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं
शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं
तू भी चुप है मैं भी चुप हूं ये कैसी तन्हाई है
तेरे साथ तिरी याद आई क्या तू सच-मुच आई है
घर से हम घर तलक गए होंगे
अपने ही आप तक गए होंगे
एक ही मुज़्दा सुब्ह लाती है
धूप आँगन में फैल जाती है
बड़ा एहसान हम फ़रमा रहे हैं
कि उन के ख़त उन्हें लौटा रहे हैं
काम की बात मैं ने की ही नहीं
ये मिरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या
दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या
उस के पहलू से लग के चलते हैं
हम कहीं टालने से टलते हैं
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
ये ग़म क्या दिल की 'आदत है नहीं तो
किसी से कुछ शिकायत है नहीं तो