@gulzar
Gulzar shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Gulzar's shayari and don't forget to save your favorite ones.
Followers
0
Content
79
Likes
हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है
ज़मीं से पेड़ों के टाँके उधेड़ देती है
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते हैं
कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे
कहीं से आता हुआ कोई शहसवार दिखे
कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद
फूल ने टहनी से उड़ने की कोशिश की
इक ताइर का दिल रखने की कोशिश की
मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता
मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता
ज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें
शम्अ' जलती है तो लाज़िम है शुआएँ निकलें
जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है