@bhaskar-shukla
Bhaskar Shukla shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Bhaskar Shukla's shayari and don't forget to save your favorite ones.
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तुझको देखा था जब आख़िरी बार तो
क्या पता था कि ये आख़िरी बार है
लंबा हिज्र गुज़ारा तब ये मिलने के पल चार मिले
जैसे एक बड़े हफ़्ते में छोटा सा इतवार मिले
इन आँखों का सूनापन ये कहता है
इन आँखों ने उन आँखों को देखा है
जो ये मुमकिन नहीं कलयुग में राम हो जाऊँ
मेरी ख़्वाहिश है कि अब्दुल कलाम हो जाऊँ
आँखें मैंने बन्द रखी हैं
यानी उनको देख रहा हूँ
गुज़िश्ता साल शायद ठीक से मारा नहीं था
ये रावण इस बरस फिर सामने तनकर खड़ा है
उनकी आँखों में ये आँखें थी और इन आँखों में वो
आईने के सामने रक्खा हुआ था आईना
दुकानें नफ़रतों की ख़ूब आसानी से चलती हैं
अजब दुनिया है जाने इश्क़ क्यों करने नहीं देती
इस कदर ख़्वाब हैं वस्ल के आँख में
आबले पाँव के हमको दिखते नहीं
तुम्हें ये किसने कहा रब को नहीं मानता मैं
ये और बात कि मज़हब को नहीं मानता मैं