लंबा हिज्र गुज़ारा तब ये मिलने के पल चार मिले

लंबा हिज्र गुज़ारा तब ये मिलने के पल चार मिले

जैसे एक बड़े हफ़्ते में छोटा सा इतवार मिले

माना थोड़ा मुश्किल है पर रोज़ दुआ में माँगा है

जो मुझसे भी ज़्यादा चाहे तुझको ऐसा यार मिले