हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है
हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है
तुम्हारा दर्द ही रस्ता भटक गया होगा

@zubair-ali-tabish
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
Followers
0
Content
94
Likes
0
हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है
तुम्हारा दर्द ही रस्ता भटक गया होगा
आइना कब बनाओगे मुझ को
मुझ से किस दिन मिलाओगे मुझ को
कोई तितली निशाने पर नहीं है
मैं बस रंगों का पीछा कर रहा हूँ
किसी भूके से मत पूछो मोहब्बत किस को कहते हैं
कि तुम आँचल बिछाओगे वो दस्तर-ख़्वान समझेगा
अब तलक उस को ध्यान हो मेरा
क्या पता ये गुमान हो मेरा
उस के ख़त रात भर यूँ पढ़ता हूँ
जैसे कल इम्तिहान हो मेरा
आज तो दिल के दर्द पर हँस कर
दर्द का दिल दुखा दिया मैं ने
तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पे शक गया होगा
चराग़ ख़ुद भी तो जल जल के थक गया होगा
अपना कंगन समझ रही हो क्या
और कितना घुमाओगी मुझ को
वो जिस ने आँख अता की है देखने के लिए
उसी को छोड़ के सब कुछ दिखाई देता है
भरे हुए जाम पर सुराही का सर झुका तो बुरा लगेगा
जिसे तेरी आरज़ू नहीं तू उसे मिला तो बुरा लगेगा
के 'हैलो' सुनते ही कट कर दिया है उसने मेरा फ़ोन
खुदा का शुक्र है आवाज़ तो पहचानता है वो
चूड़ियाँ बेच के वो मेरे लिए लायी 'गिटार'
तार छेड़ूँ तो खनकने की सदा आती है
किसी का हाथ थाम लूँ मैं
वो तन्हा मिल गया तो क्या कहूँगा
हाल न पूछो मोहन का
सब कुछ राधे राधे है
चाहत में मर जाने वाली लड़की हो
तुम सचमुच अफ़साने वाली लड़की हो
जहाँ तक आके तुम वापस गए हो
वहाँ अब तक कोई पहुँचा नहीं है
दरख़्त काट के जब थक गया लकड़हारा
तो इक दरख़्त के साए में जा के बैठ गया
कोरे कागज़ पर रो रहे हो तुम
मैं तो समझा पढ़े लिखे हो तुम
इस ज़माने को ज़माने की अदा आती है
और एक हम है हमे सिर्फ वफ़ा आती है